JNU आज के समय में बड़ा ही अहम् मुदा बन गया है । जिस JNU को हम लोग जानते थे आज वही JNU शिक्षा के बाजार में अपनी पहचान खो रहा है या एयू कहिये की सरकार अपनी राजनीत का एक नया मध्यम बना रही है। जिसके बिच JNU के छात्र आज रस्ते पर उतर कर विरोध कर रहे है । ये विरोध JNU के बढ़ते फी को लेकर है ।
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जब छात्रों में इसका विरोध किया तो सबसे पहले पुलिस वालो ने उनको रोका और
वो रुकावट आते आते लाठी चार्ज में तक्दील हो गई । ये वही पुलिस वाले जो कुछ
दिन पहले वकीलों के हाथ पिटे थे और उसके बाद पोरोटेक्शन के लिए ITO पुलिस
हेड क्वाटर के बहार अपनी प्रोटेक्शन की गुहार कर रहे थे और अपनी मांगे रख
रहे थे। तब तो कोई लाठी चार्ज का पर्दशन नहीं करवाया गया और जब आज छात्र एक
जुट होक अपने हक़ के लिए विरोध कर रहे है तो उनपे लाठी चार्ज किया गया बात
है साहब ? कमजोर आदमी अगर अपनी आवाज उठता है तो उसे आप लाठी चार्ज का आर्डर
दे देते है। वही जब पुलिस वाले पर्दशन कर रहे थे तब तो किसी ने लाठी चार्ज
का आर्डर नहीं दिए।
ऐसा कियो साहब ? किया ये जनता जान सकती है?
ऐसा कियो साहब ? किया ये जनता जान सकती है?