चंद पाँतिया
उनकी हर हरकत पर नज़र रहती है हमारी,
भला हमें अख़बार की क्या जरूरत ?
वो तो खुद ही एक अख़बार है जनाब
और इस बात पर क्या तर्क करना कौन सही और कौन गलत
हर किसी का अपनी एक नज़र है मुझे किसी नज़रिया की क्या जरूरत ?
उनकी हर हरकत पर नज़र रहती है हमारी,
भला हमें अख़बार की क्या जरूरत ?
वो तो खुद ही एक अख़बार है जनाब
और इस बात पर क्या तर्क करना कौन सही और कौन गलत
हर किसी का अपनी एक नज़र है मुझे किसी नज़रिया की क्या जरूरत ?
मेरे शब्दों को इतने गौर से मत पढ़ा कीजिये जनाब ,
थोड़ा कुछ भी याद रह गया तो मुझे भुला नहीं पाओगे
मै इन हवाओ में खो जाना चाहता हूँ
मै आपने में घुल जाना चाहता हूँ
न दौलत और शोहरत का लोभ मुझे
मै तो बस आपने माँ - बाप के कदमो में रहना चाहता हूँ
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